आखिर किस कसूर के लिए इस कछुए ने सहा 19 साल तक दर्द, हकीकत जानकर आँखें नम हो जायेंगी
आज के समय अगर नजर उठाकर देखेंगे कि इंसान कितना स्वार्थी हो गया है। वह अपनी तो तरक्की कर रहा और उसकी तरक्की में बाधा बनता है उसे समाप्त करता जा रहा है। आज जब हम अपने चारों तरह देखते हैं तो चहचहाती चिड़ियों की आवाज गायब हो चुकी है। कई पक्षियों के बारे में ऐसा लगता है कि वो विलुप्त हो गए हैं। हमारे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो गया है। कचरों के ढेर लगे हैं, गन्दगी के कारण बीमारियों ने इंसान के ऊपर कब्जा ऐसा जमा रखा है। इसके बाद भी इंसान नहीं सोंचता है। कुछ चीजें तो ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल बहुत ही खतरनाक है। उदहारण के लिए हम प्लास्टिक बैग ही ले लेते हैं। इंसान इनका उपयोग करके इन्हें फेंक देता है और उसी को बेजुवान जानवर अपना आहार समझकर खा लेते हैं और परिणाम स्वरूप उनकी मौत तक हो जाती है। अब सोचने वाली बात ये आती है कि आखिर इनका दर्द कौन समझेगा। क्या ये बेजुबान पशु यूँ ही अपनी जान देते रहेंगे। यह बात सोंचनीय है और इस पर अगर विचार नहीं किया गया तो ये हमारे लिए आगे चलकर खतरा बन सकता है। आज के समय में नदियों की तो बार दूर समुद्र भी सुरक्षित नहीं हैं।
आज हम आपको समुद्र में रहने वाले एक कछुए की कुछ तस्वीरें दिखाने वाले हैं जिसमें इंसान की बेवकूफी साफ़ साफ़ नजर आ रही है और जिसकी वजह से इस कछुए को 19 साल तक बहुत ही दर्द सहना पड़ा। आखिर किस कसूर के लिए इस कछुए ने 19 साल तक दर्द सहा। इन तस्वीरों में कछुए की बॉडी में एक रिंग फँसी हुई है। आपको बता दें इस कछुए की बॉडी में प्लास्टिक की बोतल की रबड़ रिंग फँसी हुई है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इसे काटकर निकाल दिया है लेकिन ज़रा सोचिये अगर हमारी अंगुली में टाइट अंगूठी भी फँस जाए तो बर्दास्त नहीं होता तो इस कछुए ने 19 साल तक ये कैसा सहा होगा।
वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र 19 साल बतायी है और अनुमान लगाते हुए बताया की जब यह छोटा होगा तो ये रिंग इसकी बॉडी में फँस गया होगा और कछुए ने निकालने की काफी काफी कोशिश भी की होगी मगर ये नहीं निकला और समय के साथ साथ कछुआ बढ़ता गया और रिंग और भी टाइट होता गया। दोस्तों ये एक गलती नहीं है ऐसी सैकड़ों गलतियां हैं जो इंसान करते हैं और खामियाजा बेचारे इन बेजुबानों को भुगतना पड़ता है। इसलिए दोस्तों आप सभी जो इस खबर को पढ़ रहे हैं उनसे मेरी यही प्रार्थना है कि वास्तविक इंसान बनो और अपने आस पड़ोस में भी लोगों को जागरूक करें की इधर उधर कचरा न फेंके और जिओ और जीने दो






