दूसरी खास बात ये थी कि ये शादी बिना रिवाजों के हुई।यह शादी थी प्रीतिशा और प्रेम कुमारन की। प्रीतिशा लड़का पैदा हुई थीं जबकि कुमारन लड़की। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन चेन्नई में दोनों एक 'आत्मसम्मान विवाह' में शादी के बंधन में बंध गए। प्रीतिशा ने बीबीसी से कहा, मैंने लड़के के रूप में जन्म लिया था। लेकिन जब मैं 14 साल की हुई तो मुझे लगा कि मेरे भीतर कुछ लड़की जैसा है। 'आत्मसम्मान विवाह', बिना रिवाजों वाली शादी को यही नाम दिया जाता है। तर्कवादी पेरियार ने ये परंपरा शुरू की थी।यह उन लोगों के लिए है जो किसी जाति या धार्मिक रीति रिवाजों से अपनी शादी नहीं करना चाहते हैं।

छह साल पहले प्रीतिशा और प्रेम फेसबुक पर दोस्त बने। उनकी दोस्ती बाद में प्यार में बदल गई।तमिलनाडु में तिरुनेलवेली के कल्याणीपुरम गांव में 1988 में जन्मी प्रीतिशा अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं। स्कूल के दौरान प्रीतिशा को स्टेज नाटक में भाग लेना पसंद था और आज वो एक प्रोफेशनल स्टेज आर्टिस्ट और ऐक्टिंग ट्रेनर हैं।प्रीतिशा कहती हैं, यह 2004 या 2005 की बात है जब मैं अपने रिश्तेदार से मिलने पांडिचेरी गई, तो मुझे सुधा नामक एक ट्रांसजेंडर से मिलने का मौका मिला। उनके माध्यम से मुझे कड्डलूर की पूंगोडी के बारे में पता चला।पूंगोडीअम्मा (पूंगोडी को प्रीतिशा मां की तरह संबोधित करती हैं इसलिए पूंगोडी अम्मा बुलाती हैं) और तमिलनाडु के कुछ अन्य ट्रांसजेंडर पुणे में एक किराए के मकान में रहते थे। 

उन्हें पता चला कि उस मकान में रहने वाले अधिकांश ट्रांसजेंडर अपनी जीविका के लिए या तो भीख मांगते थे या वेश्वावृति में थे। प्रीतिशा ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती थीं।सुधा की सलाह से उन्होंने ट्रेन में चाबियों वाली जंजीरें और मोबाइल फोन बेचना शुरू किया। कई ट्रांसजेंडरों ने इसका कड़ा विरोध किया कि वो भीख मांगने का काम करते हैं और अगर मैं चीजें बेचूंगी तो लोग उनसे सवाल पूछेंगे।लोकल ट्रेनों में चीज़ें बेचने पर पाबंदी के बावजूद वो छोटे-से कारोबार को शुरू करने में कामयाब रहीं। इससे हमें हर दिन 300-400 रुपये कमाने में मदद मिलती थी। 17 साल की उम्र में उन्होंने अपनी कमाई के पैसे से लिंग परिवर्तन की सर्जरी करवा ली।प्रीतिशा ने कहा कि उनके परिवार ने उस सर्जरी के बाद उन्हें स्वीकार कर लिया और अब वो अपने परिवार के संपर्क में हैं। बाद में वो दिल्ली में एक ट्रांसजेंडर आर्ट क्लब से जुड़ गईं और राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास अभिनय करना शुरू कर दिया।तीन-चार साल के बाद वो वापस चेन्नई लौट आईं। प्रीतिशा कहती हैं, जब मैंने चेन्नई में अभिनय करना शुरू किया, मेरी मुलाकात मणिकुट्टी और जेयारमण से हुई। उनसे हुई दोस्ती से मेरा अभिनय और निखर गया। उनकी मदद से ही आज मैं फुल टाइम परफॉर्मर हूं और अभिनय सिखाती भी हूं।

प्रेम कुमारन का जन्म तमिलनाडु के इरोड जिले में 1991 में एक लड़की के रूप में हुआ था। हालांकि उनका बचपन सामान्य था, लेकिन जब वो किशोरावस्था में पहुंचे तो उन्हें लगा कि उनके महिला शरीर में एक पुरुष की भावना है। उन्होंने इसे अपनी मां को बताया तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया।उनके माता-पिता को लगा कि उनका यह बोध समय के साथ बदल जाएगा। प्रेम ने एक लड़की के रूप में कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज के दिनों में वो एक दुर्घटना में घायल हो गए और उन्हें आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 2012 में प्रेम लिंग परिवर्तन के ऑपरेशन की जानकारी लेने चेन्नई आए। वो प्रीतिशा