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उस समय घर गुलजार था, क्योंकि लड़की की शादी में शादी के रिसेप्शन की तैयारी चल रही थी। फिर अचानक पारिवारिक विवाह की खुशी शोक में बदल गई। बेटी रो रोकर यह सोचती रही कि पिता ने यह कदम क्यों उठाया। कुछ समय पहले, जहां शादी की तैयारी का स्वागत किया गया था, वहाँ रोने और चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। इसके बाद लोगों की भीड़ लग गई।

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लोग सांत्वना देने लगे। वहीं, शादी में शामिल होने आए रिश्तेदार और रिश्तेदार भी अपने घर जाने की तैयारी करने लगे। पिता ने सुसाइड नोट में लिखा की "मेरी प्यारी बेटी तुम हमेशा खुश रहना, अपनी मौत का जिम्मेदार मैं खुद हूं। मेरे घर मे किसी को परेशान ना किया जाए। मेरा आशीर्वाद सदैव बेटी तुम्हारे साथ है।" यह पढ़ते ही बेटी बेहोश हो गई।

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मृतक के बेटे ने पुलिस को बताया कि उसके पिता कुछ समय से मानसिक बीमारी से पीड़ित थे। रात में वह अचानक घर से बिना किसी को बताए निकल गया। बेटे प्रदीप ने बताया कि उसकी बहन की आज शादी थी। बारात घर में स्वागत के लिए तैयारी चल रही है। वे शादी के बाद अपने पिता का शव लेंगे। परिवार की इच्छा के अनुसार, पुलिस ने शव को जब्त कर लिया और नोहर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रख दिया। मुरलीधर घड़ी बनाने का काम करते थे